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हमसफ़र 15 पॉर्ट सीरीज पॉर्ट - 9




हमसफ़र (भाग - 9)



वीणा अपनी यूपीएससी की कोचिंग में व्यस्त हो गई। साथ-साथ वह शिक्षक पात्रता परीक्षा की भी तैयारी कर रही थी। इस बीच सुमित से उसकी फोन से बातचीत होती रहती थी। सुमित उससे फोन से सामान्य बातचीत कर उसका हाल समाचार लेता रहता,और छोटी-मोटी समस्याएं होती उसका समाधान वह कर देता।

    शिक्षक पात्रता परीक्षा (टी ई टी) संपन्न हो गई परंतु यू पी एस सी का कोचिंग अभी चल रहा था कभी-कभी दो-तीन दिन के लिए वीणा अपने घर आती, और फिर वापस चली जाती। उसका लक्ष्य अब यूपीएससी मैं सफलता प्राप्त करना था।





    अजय ने भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टी ई टी) दी थी और वह उसके परिणाम एवं राज्य के शिक्षा विभाग से निकलने वाली नियुक्ति के विज्ञापन की प्रतीक्षा में था। इधर सुमित स्कूल खोलने की तैयारी कर रहा था। इसमें वह काफी सारा कार्य कर चुका था। शहर से थोड़ा हट कर परंतु हाईवे के किनारे जहां से शहर तक आवागमन की अच्छी सुविधा थी, स्कूल की आवश्यकता से भी अधिक बड़े प्लॉट को उसने क्रय कर लिया था। कुछ जमीन उसने लीज पर भी लिया था। जमीन की व्यवस्था कर स्कूल के नक्शा के अनुसार भवन निर्माण आधा से अधिक हो चुका था। उसका विचार स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ तेराकी एवं क्रिकेट, वॉलीबॉल, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिससहित अन्य कई खेलों का प्रशिक्षण देने का भी था।




      स्कूल का पंजीकरण करवाने के साथ उसने इन सभी खेलों का प्रशिक्षण दिलवाने के लिए भी अनुमति संबंधित विभाग से ले लिया था। विद्यालय खोलने के लिए अब उसे स्कूल की बिल्डिंग पूरा करके, उसमें रंग-रोगन करके आवश्यकतानुसार  फर्नीचर एवं अन्य व्यवस्था करना था।




    इसके साथ साथ सुयोग्य शिक्षक की नियुक्ति क़ी व्यवस्था करना भी एक बड़ा काम था। यह सब कुछ होने के बाद विज्ञापन देकर छात्र का चयन करना होता। अभिभावक भी अपने बच्चों का किसी विद्यालय में तभी नामांकन करवाते हैं जब विद्यालय को सुव्यवस्थित और सभी सुविधाओं से परिपूर्ण देखते हैं।




    सुमित इन सभी कार्यों में लगा हुआ था। इन कार्यों में उसेअपने पापा और भैया का भी समय समय पर पूरा मार्गदर्शन मिल रहा था। उसने अजय को अपने साथ सहायता के लिए रखा था,और कुछ अन्य कर्मचारी भी अपने कार्य में सहायता के लिए नियुक्त कर लिया था।




     अजय ने उससे कहा –"जब तक मेरी नौकरी नहीं होती है,स्कूल निर्माण में तुम्हारी हर संभव सहायता करूंगा। लेकिन नौकरी होने के बाद मैं तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर पाऊंगा। हां अवकाश के समय खाली समय में यदि मेरे लायक कुछ काम होगा तो मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूंगा। तुम चाहो तो वीणा को भी अपने साथ स्कूल में मदद के लिए ले सकते हो। उसे प्रिंसिपल बना देना। वह बहुत अच्छे से स्कूल संभाल लेगी।"




      सुमित  – "नहीं अजय मैं वीणा को अभी अपने साथ नहीं ले सकता। उसके लिए कुछ और सपना मैंने देखा है। स्कूल के लिए तो मुझे बहुत सारे  शिक्षक या कर्मचारी मिल जाएंगे, परंतु वीणा का यह बहुमूल्य समय है, यह गुजर गया तो सफलता उससे दूर चली जाएगी।"




     शिक्षक पात्रता परीक्षा (टी ई टी) का परिणाम घोषित हो चुका था। वीणा उत्तीर्ण हो गई थी। अब उसे विभाग से निकलने वाले नियुक्ति के विज्ञापन क़ी प्रतीक्षा थी। परन्तु वह अभी भ?%

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3 Comments

Alka jain

04-Jun-2023 12:51 PM

V nice 👍🏼

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वानी

01-Jun-2023 06:59 AM

Nice

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